FIR में भोले बाबा का नाम क्यों नहीं, अफसरों की जवाबदेही कितनी? हाथरस कांड पर उठे सवाल

लखनऊ: हाथरस के सिकन्दराराऊ में सत्संग के बाद भगदड़ से हुई मौतों के मामले में अब शासन-प्रशासन एक्शन में आ गया

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लखनऊ: हाथरस के सिकन्दराराऊ में सत्संग के बाद भगदड़ से हुई मौतों के मामले में अब शासन-प्रशासन एक्शन में आ गया है। साकार विश्वहरि भोले बाबा के मुख्य सेवादार सहित अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। एसडीएम ने भी अपनी शुरुआती रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हाथरस के दौरे पर हैं और घायलों का हालचाल ले रहे हैं। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को घटना के फौरन बाद चौबीस घंटे में जांच रिपोर्ट देने का आदेश दिया साथ ही कहा कि घटना का जो भी दोषी होगा, वह बचेगा नहीं। लेकिन इस घटना में एफआईआर जो सामने आई है, वह प्रशासन की मंशा पर कई सवाल खड़ी करते दिख रही है। मसलन, मुख्य सेवादार को आरोपी बनाया गया लेकिन जिनके नाम पर पूरा आयोजन हाे रहा था वह भोले बाबा आरोपी नहीं बनाए गए हैं। सेवादारों द्वारा आयोजन की परमीशन को लेकर भी सवाल हैं। आइए विस्तार से समझते हैं...

पूरी एफआईआर पढ़िए

एफआईआर के अनुसार 2 जुलाई 2024 को सिकन्दराराऊ थाना क्षेत्र के फुलरई मुगलगढी गांव के बीच जीटी रोड के पास जगत गुरु साकार विश्वहरि भोले बाबा के सत्संग आयोजन का कार्यक्रम प्रस्तावित था। आयोजनकर्ता मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर व अन्य द्वारा संगठन के पूर्ववर्ती कार्यक्रमों में जुटने वाली लाखों की भीड़ की स्थिति को छिपाते हुए इस कार्यक्रम में करीब 80 हजार श्रद्धालुओं के इकट्‌ठा होने की अनुमति मांगी गई। इसके आधार पर पुलिस-प्रशासन द्वारा भीड़ की सुरक्षा, शांति व्यवस्था और यातायात प्रबंधन किया गया।

लेकिन इस कार्यक्रम में दूसरे प्रदेशों और प्रदेश के आसपास के जिलों से करीब ढाई लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं की भीड़ इकट्ठा हो गई। जिसके करण जीटी रोड पर यातायात अवरुद्ध हो गया। मौके पर ड्यूटी पर तैनात पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी इसे संभालने की कोशिश कर रहे थे।

उधर कार्यक्रम के मुख्य प्रवचनकर्ता सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के प्रवचन के उपरांत अपनी गाड़ी में सवार होकर कार्यक्रम स्थल से निकले। करीब 2 बजे श्रद्धालुओं ने उनकी गाड़ी के गुजरने वाले मार्ग से धूल समेटना शुरू कर दिया। लाखों की बेतहाशा भीड़ के दबाव के कारण नीचे बैठे, झुके श्रद्धालु दबने कुचलने लगे, चीख-पुकार मच गई।

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एफआईआर में लिखा गया है कि जीटी रोड के दूसरीओर लगभग 3 मीटर गहरे खेतों में भरे पानी व कीचड़ में बेतहाशा दती कुचलती भागती भीड़ को आयोजन समिति एवं सेवादारों द्वारा डंडों से जबरदस्ती रोक दिया गया, जिसके कारण दबाव बढ़ता चला गया और महिला बच्चे कुचलते चले गए। मौके पर मौजूद पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा हर संभव प्रयास करते हुए बमुश्किल लाखों की भीड़ के दबाव से दबकुचल कर घायलों को अस्पताल भिजवाया गया लेकिन सेवादारों आयोजनकार्ताओं ने कोई सहयोग नहीं किया। आयोजकों एवं सेवादारों का यह कृत्य भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 105/110/126(2)/233/228 के अंतर्गत अपराध है।

ये रही एसडीएम की रिपोर्ट

अब उपजिलाधिकारी सिकन्दराराऊ की रिपोर्ट पढ़िए। उन्होंने लिखा है कि वह मौके पर उपस्थित थे। सत्संग के पंडाल में लगभग 2 लाख से अधिक की भीड़ उपस्थित थी। भोले बाबा करीब साढ़े 12 बजे पंडाल पहुंचे और एक घंटा कार्यक्रम चला। 1 बजकर 40 मिनट पर भोलेबाबा राष्ट्रीय राजमर्गा 91 पर एटा की ओर जाने के लिए आए तो जिस रास्ते से वह निकल रहे थे, उस रास्ते में श्रद्धालुओं की भीड़ उनके दर्शन, चरण स्पर्श के लिए जुट गई। लोग चरण रज लेकर माथे पर लगाने लगे। भीड़ बाबा तक न पहुंचे, इसके लिए उनके निजी सुरक्षाकर्मी एवं सेवादारों ने धक्का मुक्की करनी शुरू कर दी। जिससे कुछ लोग नीचे गिर गए और अफरातफरी का माहौल उत्पन्न हो गया। एसडीएम ने खुद मौके पर उपस्थित राजस्व एवं पुलिस सुरक्षा कर्मियों द्वारा लोगों को एंबुलेंस व मौके पर उपस्थित वाहनों के माध्यम से आसपास के अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सिकंदराराऊ भिजवाया गया। जहां 89 श्रद्धालुओं को मृत घोषित कर दिया गया एवं कुछ श्रद्धालुओं को एटा भेजा गया, जिन से 27 को मृत घोषित किया गया। मृतकों की कुल संख्या 116 हो गई, 23 घायल हैं, जिनमें से 11 का उपचार बांग्ला हॉस्पिटल हाथरस एवं 6 का पं दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय, अलीगढ़ एवं 6 का जेएनएमसी अलीगढ़ में उपचार चल रहा है।

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इन सवालों का जवाब कौन देगा?

एफआईआर और एसडीएम की रिपोर्ट पढ़ने के बाद कुछ सवाल उठ रहे हैं। एफआईआर से साफ है कि भोले बाबा का ये पहला आयोजन नहीं था और पहले भी उनके संगठन के आयोजन में लाखों की भीड़ जुटती रही है। सवाल है कि जब एफआईआर में ये लिखा जा रहा है कि आयोजनकर्ताओं ने संगठन के पूर्ववर्ती कार्यक्रमों में जुटने वाली लाखों की भीड़ की स्थिति को छिपाते हुए इस कार्यक्रम में करीब 80 हजार श्रद्धालुओं के इकट्‌ठा होने की अनुमति मांगी गई। तो अधिकारियों ने परमीशन कैसे दी? क्या उन्हें नहीं पता था कि लाखों की भीड़ जुटेगी? इसकी जिम्मेदारी कैसे तय होगी?

एफआईआर को पढ़ने पर साफ लग रहा है कि पुलिस मुस्तैदी से जिम्मेदारी निभा रही थी, दोषी अगर कोई थे तो वो आयोजनकर्ता और सेवादार ही थे।

सबसे अहम बात ये है कि मुख्य सेवादार और अन्य के खिलाफ एफआईआर तो दर्ज की गई, लेकिन एफआईआर में साकार विश्वहरि भोले बाबा को आरोपी नहीं बनाया गया। क्यों?

ये भी पता चल रहा है कि एलआईयू ने अपने उच्चाधिकारियों को जो रिपोर्ट दी थी, उसमें सवाल लाख से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने की बात कही थी। यही नहीं एलआईयू ने भीड़ बढ़ने पर अप्रिय घटना की आशंका भी जताई थी लेकिन अफसरों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। सवाल है कि क्या इसका जिक्र शासन को भेजी जाने वाली रिपोर्ट में करेंगे?

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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